फ़ॉलोअर

मंगलवार, 25 जुलाई 2017

खुलकर मुस्कुराने दो हमें ।


खुलकर मुस्कुराने दो हमें ,
न दबे बचपन किताबों के बोझों  के  तले ।
फूलों की तरह खिलने दो हमें ,
न झुलसे  मासूमियत  बड़ों के अरमानों के तले ।
बातें करने दो  आसमानों से हमें ,
न गुजरे ये बचपन चाहरदीवारों के तले  ।
भीग जाने दो बारिश में हमें ,
न रोको लेने दो मौसम के खुलकर मजे ।
न डालो इतनी जिम्मेदारियां हमें ,
कहीँ  खो ना जाये बचपन वक्त से पहले ।
जी लेने दो जीभर बचपन हमें  ,
फिर तो बीतने ही है संघर्ष से जिंदगी के हर लम्हे ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत बचपन की मस्ती का अलग मजा होता है ... और बच्चों को वो सब करने देना चाहिए ...

    जवाब देंहटाएं
  2. नासवा जी आपकी सकारात्मक अमूल्यवान टिप्पणी के लिए बहुत सुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बचपन जो अब कभी लौट के आने वाला नहीं

    जवाब देंहटाएं
  4. सईद जी आपकी सकारात्मक अमूल्यवान टिप्पणी के लिए बहुत सुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

नील लगे न पिचकरी, #रंग चोखा आये ,

  नील लगे न #पिचकरी, #रंग चोखा आये , कीचड का गड्डा देखकर , उसमें दियो डुबाये .   ऊंट पर टांग धरन की , फितरत में श्रीमान , मुंह के बल...