सपनों के पीछे भागती भीड़ से परे ,
जहां कोई व्याकुल कोलाहल न करे ,
जहाँ कोई सफलता का अभिमान न धरे ,
जहाँ निश्चल मन की मासूमियत न मरे ,
अनुकूल वातावरण में फैले क्षितिज के तले ,
आपसे अकेले में बातें करनी है !
कभी रोज की दौड़धूप से फांका तो करो ,
सपनों की दुनिया से बाहर झाँका तो करो ,
मैं क्या चाहती हूँ कभी आँका तो करो ,
कुछ पल साथ बिताने का वादा तो करो ,
अपना सुख दुःख 'दीप' साथ साझा तो करो ,
आपसे अकेले में बात करनी है !
अति सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भारती सर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
कविता मेम आपके सकारात्मक टिप्पणी एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
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