जरुरी है अपनों की खुशियों का ध्यान रखना सदा ।
पर हर बात पर नही मिलायी जा सकती हाँ में हाँ ।
कभी यही आदत बन जाती है परेशानी भरा जहां।
ये सोचकर कि इंकार न कर जाये अपनों को खफा ।
और ढोते रहते हैं बोझ उस हाँ का बुझे मन से हमेशा ।
बातें जो करे असहज लम्हा , उन्हें करना सीखें मना ।
कभी कभी एक 'न' भी , आसान कर देगी जीना ।
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