#साहिल पर तो आये #रिश्तों की #कश्तियाँ ।
यूँ ही अनजाने में जो कर बैठे हैं गुस्ताखियाँ ।
अब तो बढ़ चले हैं फासले और रूसवाइयां ।
कुछ तो कम हो ये पल पल सताती दुशवारियाँ।
आओ तोड़े अब ये चुप्पी और खामोशियाँ ।
दूर करें ग़लतफ़हमी जो है तेरे मेरे दरमियान ।
न हो सकें सुलह ऐसी तो न होगी मजबूरियां ।
कुछ तुम तो कुछ हम बढ़ें छोड़कर गुमानियां ।
साहिल पर तो आये 'दीप ' ये रिश्तों की कश्तियाँ ।
यूँ ही अनजाने में जो कर बैठे हैं गुस्ताखियाँ ।
अब तो बढ़ चले हैं फासले और रूसवाइयां ।
कुछ तो कम हो ये पल पल सताती दुशवारियाँ।
आओ तोड़े अब ये चुप्पी और खामोशियाँ ।
दूर करें ग़लतफ़हमी जो है तेरे मेरे दरमियान ।
न हो सकें सुलह ऐसी तो न होगी मजबूरियां ।
कुछ तुम तो कुछ हम बढ़ें छोड़कर गुमानियां ।
साहिल पर तो आये 'दीप ' ये रिश्तों की कश्तियाँ ।
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