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शनिवार, 25 जून 2022

चाहे #महाभारत हो या #रामायण ।

 


जब स्वार्थ का बादल हो घनघोर ,

जब अपने ही साथ रहे हो छोड़ ,

तब अपना अधिकार पाने के लिए ,

धर्म और कर्तव्य निभाने के लिए ,

भगवान को भी करना पड़ा पलायन ,

चाहे #महाभारत हो या #रामायण ।


सबको होता है दुख और रंज ,

चाहे वो राजा हो या रंक ,

पर अपना वचन निभाने के लिए ,

बड़ों की आज्ञा सर सजाने के लिए ,

भगवान भी भटके हैं वन वन ,

चाहे महाभारत हो या रामायण ।


सबको होता है अपने से मोह ,

कोई न चाहे अपनों से बिछोह ,

वैभव और ऐश्वर्य पाने के लिए ,

महत्वकांछा को फलीभूत कराने के लिए ,

अधर्म और असत्य से करते सृजन,

चाहे महाभारत हो या रामायण । 


जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,

धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,

अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,

विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,

भगवान को भी करना पड़ा रण ,

चाहे महाभारत हो या रामायण । 

18 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-6-22) को "चाहे महाभारत हो या रामायण" (चर्चा अंक-4472) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,
    धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,
    अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,
    विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,
    भगवान को भी करना पड़ा रण ,
    चाहे महाभारत हो या रामायण ।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति
    आज के हालातों को देख भगवान् का अवतरण जरुरी हो गया है क्योंकि कोई समझाना ही नहीं चाहता एक दूसरे को

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय कामिनी मेम ,
    ईस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (26-6-22) को "चाहे महाभारत हो या रामायण" (चर्चा अंक-4472) पर करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय कविता मेम, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सामयिक परिप्रेक्ष्य पर लिखी गई सुंदर सराहनीय रचना।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना सोमवार 27 जून 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय जिज्ञासा मेम एवं अनुराधा मेम, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय संगीता मेम ,
    ईस प्रविष्टि् की चर्चा सोमवार (27-6-22) को "पांच लिंको के आंनद में" शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,

    धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,

    अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,

    विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,

    भगवान को भी करना पड़ा रण ,

    चाहे महाभारत हो या रामायण ।
    पता नहीं कब आयेंगे प्रभु अत्याचारियों कोसबक सिखाने...
    बहुत सुन्दर सृजन
    वाह!

    जवाब देंहटाएं
  10. अवतारों की प्रतीक्षा में स्वयं पर विश्वास कम न हो
    अपने कर्मों को प्रक्षालित करते रहना ही मनुष्य धर्म है।
    -----
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय सुधा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
    जिस तरह भगवान ने रण किया उस तरह से हमें भी अनुचित के विरुद्ध उचित तरीके से रण करने का समझ और सामर्थ्य प्रदान करें ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  12. जी आदरणीय स्वेता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
    जिस तरह भगवान ने अनुचित के विरुद्ध कर्म रूपी रण किया उस तरह से हमें भी अनुचित के विरुद्ध उचित तरीके से रण करने का समझ और सामर्थ्य प्रदान करेंगे।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रत्येक बंध सराहनीय 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय अनीता मेम , आपकी उत्साहवर्धन करती बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  15. आदरणीय रंजू मेम एवं उषा मेम , आपकी उत्साहवर्धन करती बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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