#नाकामियों पर अपनी ,
यूं #तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
#खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।
माना की बड़ा मुश्किल है ,
झांकना खुद के अंदर ,
यहां पसंद है किसे ,
कहलाना हार का सौदागर,
चाहत है गर दिल में ,
कामयाबी भरा हो सफर ,
ऐसे भंवर में कभी ,
खुद को उलझाया तो करो ।
एक ढूंढो हजार मिलेंगे ,
खामियां के भरमाते जाल,
चलते हुये न जाने ,
कैसी कैसी शतरंजी चाल,
चाहत है गर दिल में ,
बनने की बाजीगर ,
इस शह और मात के खेल में ,
हराने इन्हें आया तो करो ।
गर रखी है खुद में ,
काबिलियत और हुनर ,
धधकने दो ज्वाला ,
जिद और जुनून की अंदर ,
वादा करें खुद से की,
बाकी न रहेगी कोई कसर ,
कभी ऐसे भी जाल जीत का,
जरा बिछाया तो करो ।
नाकामियों पर अपनी ,
यूं तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आदरणीय यशोदा मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद ।
सादर ।
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआदरणीय गजेंद्र सर ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
सादर ।
👍 😍
हटाएंसच नाकामियों से सबक ही लेना चाहिए
जवाब देंहटाएंआदरणीय विमल सर ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
सादर ।
Nice one
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