#किटकिटाते दांत है
कपकपाते हाथ
भाप निकलती मुख से
जब करते है बात 
उफ्फ ये #ठंड की सौगात ।
हथेलियों को रगड़ 
कभी गालों में स्पर्श
तो कभी कानों को पकड़
कोशिश है तोड़ने की
ठंड की अकड़ 
उफ्फ ये ठंड की जकड़ ।
मोटे गरम कपड़े 
पहन बिछौना पर पसरे
गरम काफी और चाय
कई दफा हलक से उतरे
घर में जला अलाव
ठंड ज्यादा न अखरे 
उफ्फ ये ठंड के नखरे ।
थोड़ी सर्दी थोड़ा जुकाम
थोड़ा गला नाक जाम 
कभी विक्स कभी बाम 
तो गुड का काढ़ा का जाम
पीकर जल्दी करते आराम 
उफ्फ ये ठंड पर लगे लगाम ।
सुबह देर जल्दी शाम
देर से आता है घाम 
ठिठुरते ठिठुरते लोग यहां
अब करते है अपना काम 
और न जाने कब 
दिन हो जाता तमाम
उफ्फ ये ठंड का तामझाम ।
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सोमवार, 9 दिसंबर 2024
उफ्फ ये #ठंड की सौगात ।
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय जोशी सर , आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद ।
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