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शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

महफूज जहां मेरा तन मन ।

 


ऐ वतन तेरा आगन

महफूज जहां मेरा तन मन ।

न कोई रोके न कोई टोके 
ज्यादा करे तो घुस कर ठोके
दुश्मन का होता अब बेड़ा गरक

ऐ वतन तेरा आगन
महफूज जहां मेरा तन मन ।

कौने कौने  से करके खोज
बाहर कर रहे  बाहरी लोग
बिलों से निकलेंगे अब सारे सर्प

ऐ वतन तेरा आगन
महफूज जहां मेरा तन मन ।

सुनते नहीं अब किसी को व्यर्थ
अपनी ही नीति है अपनी ही शर्त
करेंगे वहीं अब जो वतन से है फर्ज

ऐ वतन तेरा आगन 
महफूज जहां मेरा तन मन ।

आसमां पर नजर है पाताल तक हद
वतन के माथे पर है समृद्धि तिलक
चला है देश अपना अब अपनी ही तर्ज 

ऐ वतन तेरा आगन 
महफूज जहां मेरा तन मन ।

https://youtu.be/-ZRBLElBEYE?si=A7mqZ5kKoVrVWfZE

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार, अगस्त 16 , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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महफूज जहां मेरा तन मन ।

  ऐ वतन तेरा आगन महफूज जहां मेरा तन मन । न कोई रोके न कोई टोके  ज्यादा करे तो घुस कर ठोके दुश्मन का होता अब बेड़ा गरक ऐ वतन तेरा आगन महफूज ज...