फ़ॉलोअर

शनिवार, 6 सितंबर 2008

कुर्सी प्रेम छोड़कर - कुछ ऐसे भी जन सेवा करके देखे !

जनसेवा और देश सेवा के नाम पर सत्ताप्राप्ति हेतु देश की राजनैतिक पार्टी बड़े बड़े आन्दोलन , जुलुश , रेलिया और हिंसक प्रदर्शन करती है , जिसमे लाखों लाखों लोगों को भाड़े पर लाकर इक्कट्ठा किया जाता है , इसमे राजनैतिक पार्टियों के कार्यकर्त्ता बड़े जोर शोर से भाग लेते हैं , एवं मरने मारने पर उतारू होते हैं , इन प्रदर्शन के बहाने आम लोगों को जन जीवन को अस्तव्यस्त करते हैं एवं व्यक्तिगत , सामजिक और राष्ट्रीय संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुक्सान पहुचाते हैं और कभी कभी तो जनहानि करने से भी नही चूकते हैं । साथ ही राजनैतिक प्रदर्शन मैं बैनर , पोस्टर , पम्पलेट और अन्य प्रचार सामग्री मैं काफ़ी पैसा पानी की तरह बहाया जाता है ।
निजी स्वार्थ और सत्ता प्राप्ति के कामों मैं अपने कार्यकर्ताओं की श्रम शक्ति और पार्टी की धनशक्ति को जाया किया जाता है । देश की युवा और मानव शक्ति की उर्जा को नकारात्मक और अरचनात्मक कार्यों मैं नष्ट होने दिया जाता है । कई बार तो ऐसे कामों मैं कार्यकर्ताओं को जान जोखिम तक डालना पड़ता है । साथ ही पैसों का भी अनावश्यक खर्चा भी किया जाता है ।
इस तरह से देश की सभी पार्टी द्वारा धन बल और बाहुबल का प्रदर्शन करते देखा गया हैं , किंतु देश की गंभीर प्रक्रत्रिक अथवा मानवीय चूकों से होने वाली भयंकर त्रासदियों मैं मदद के लिए आगे आते बहुत ही कम देखने को मिलता है । ये राजनैतिक पार्टियाँ तो जन सेवा और मानव सेवा का खूब धिन्डोरा पीटती हैं , किंतु जब सही मैं मानव सेवा और जनसेवा की बात आती हैं तो उनकी भूमिका नगण्य नजर आती हैं । और तो और ऐसे मौके मैं गन्दी राजनीति करने से भी बाज़ नही आते हैं ।
यदि सही मैं जनसेवा और मानव सेवा की भावना इन राजनैतिक पार्टियों मैं हैं तो क्यों नही वे स्वयं कोसी के कहर से हताहत लोगों की सेवा मैं मानव सेवा करने जाते हैं ? क्यों नही अपनी पार्टी के फंड से आवश्यक आर्थिक सहायता उन हताहतों के लिए मुहैया कराते हैं ? क्यों नही अपने कार्यकर्ताओं को कोसी के कहर से प्रभावित स्थानों मैं जन सेवा के लिए भेजते हैं ? उनके कार्यकर्ता जो आन्दोलन एवं प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं मैं जिस अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हैं ठीक उसी तरह का प्रदर्शन बाढ़ मैं फसे लोगों को निकालकर और उनकी जान बचाकर क्यों नही करते हैं । क्या राजनैतिक पार्टी जनसेवा के नाम पर कोसी के कहर मैं बिस्थापित और हताहत हुए लोगों के पुनर्वास की जिम्मेदारी लेंगी ?
अतः देश की राजनैतिक पार्टियों को सत्ता प्रेम को छोड़कर ऐसे भी जनसेवा और मानवसेवा करके देखना चाहिए। अपनी और अपने कार्यकर्ता की उर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों मैं लगाने हेतु प्रेरित करें । निःसंदेह यह जनसेवा का एक अच्छा अवसर हैं ।
क्या देश की राजनैतिक पार्टी ऐसा करेंगी ?

1 टिप्पणी:

  1. किस पार्टी से उम्मीद की जाये??

    अच्छा आलेख.

    ---------------------------------


    निवेदन

    आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.

    ऐसा ही सब चाहते हैं.

    कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.

    हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.

    -समीर लाल
    -उड़न तश्तरी

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

नील लगे न पिचकरी, #रंग चोखा आये ,

  नील लगे न #पिचकरी, #रंग चोखा आये , कीचड का गड्डा देखकर , उसमें दियो डुबाये .   ऊंट पर टांग धरन की , फितरत में श्रीमान , मुंह के बल...