पहले की ही तरह एक बार फ़िर शुरू हुआ वाम दल और यूं पी ऐ सरकार का नाटक । वाम दल जन्हा खूब धमकी भरे लहजे मैं बात करती है वही सरकार ढुलमुल रवैया अपनाकर मामले को ठंडे बस्ते मैं डालने की कोशिश करती है । परमाणु करार पर फ़िर शुरू हुआ नाटक का हश्र क्या होगा , इसे पहले हुए घटनाक्रम को देखते हुए कोई भी बता सकता है । दोनों पक्ष एक दूसरे को आँख दिखाने का नाटक करते रहेंगे , और मामला वही के वही लटका रहेगा । आख़िर वाम पंथी कब तक देश के लोगों को इस तरह से भ्रमित करते रहेंगे । एक तो सत्ता का मोह ऊपर से विरोध की मजबूरी , एक साथ दो नाव सवार होकर वाम पंथी चलना चाहते है । इस प्रकार की सवारी का भविष्य क्या होगा यह तो देश की जनता ही बतायेगी । दोनों पक्षों के लोग एक तो मिल रहे सत्ता सुख को त्यागना नही चाहते हैं दूसरा जनता के सामने परमाणु करार के न होने या न होने देने का नाटक कर अपने को दोषी नही बनाना चाहते हैं । वाम दल को लगता है की यदि करार हो जायेगा तो आगामी चुनाव मैं कांग्रेस को इसका लाभ मिल सकता है इसीलिए भी वह इसे नही होने देना चाहता है , वही कांग्रेस इस करार को करके आगामी चुनाव मैं फायदा लेने की फिराक मैं है ।
किंतु यह कैसा विरोध है स्वयम सरकार का हिस्सा होने के बावजूद बाहर से तो विरोध दिखाते है और अन्दर से उसका समर्थन भी जताते है । यह दुबिधा भरा खेल कब तक खेला जायेगा । लगता है वाम पंथी ने एक नई राजनीति की शुरुआत की है जिसमे साथ साथ रहकर दोस्ती और दुश्मनी साथ साथ निभाई जा सकती है ।
लगता है यह नाटक आने वाले लोकसभा चुनाव तक चलेगा , तब ही इस नाटक से परदा गिरेगा , तब तक देश की जनता को मजबूरन ऐसे नाटक देखना ही पड़ेगा ।
चुनाव तक क्यूंकि आज तो प्रकाश कारत ने भी कह दिया है कि यू.पी.ऐ.सरकार अपना ५ साल पूरा करेगी।
जवाब देंहटाएंsamachar dekhunga.ab tak gir jana chahiye....
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