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शुक्रवार, 13 जून 2008

मोबाइल के कुछ नुकसान ऐसे भी !

मोबाइल से होने वाले नुकसान की ख़बर आए दिन समाचार पत्रों मैं और इलेक्ट्रोनिक मीडिया मैं आती रहती है । जंहा मोबाइल से निकलने वाली तरंग और विकिरण से दिल , दिमाग पर बुरा असर पड़ता है वही प्रजनन क्षमता पर भी इसका बुरा असर पड़ने की बात वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही है । इसी के मद्देनजर अब केन्द्र सरकार मोबाइल टावर को अस्पताल परिसर और स्कूल परिसर मैं लगाने पर प्रतिबन्ध लगा रही है । साफ है की मोबाइल स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है ।
वही इस सबके इतर मोबाइल के कुछ नुकसान ऐसे भी है जो लोगों व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन मैं व्यवधान पैदा कर रहे है । ये व्यक्ति की निजता को भंग करते प्रतीत होते है । यदि आप कही दोस्तों के साथ मजा कर रहे है या फिर पार्टी मना रहे है और उसी समय आपके बॉस का फ़ोन आ जाए तो , आपका सारा मजा किरकिरा हो जाता है , और कही आप पत्नी को बगैर बताये सैर सपाटे या फिर किसी दोस्त के साथ केंद्ल लाइट डिनर ले रहे हो , और उसी समय पत्नी को फ़ोन आ जाए तो , फिर आपकी खैर नही , एक तो रंग मैं भंग पड़ जाता है और घर जाकर पत्नी की डांट सुनना पड़ेगा सो अलग। गहरी नींद मैं सो रहे है और मस्त मनभावन सपना देख रहे हो और उसी वक़्त मोबाइल की घंटी घनघना उठे , बस क्या है नींद अलग ख़राब और उस पर ख़ास क्षण मैं सपना टूटना बड़ा ही दुखदाई होता है , है न ? यदि किसी से बचते फिर रहे है जैसे कोई उधारी वाला , कोई चिपकू और सर पकाऊ दोस्त या फिर ऐसी दोस्त जिससे अब पीछा छुड़ाना चाह रहे हो , और यदि मोबाइल साथ मैं है , तो बड़ा ही मुश्किल हो जाता है ।
जंहा मोबाइल संचार का क्रांतिकारी माध्यम बनकर विज्ञान का एक वरदान बनकर सामने आया है , वही यह अभिशाप भी सिद्ध हो रहा है , इसके माध्यम से अश्लील , भद्दे और अमर्यादित भाषा वाले एस.ऍम एस महिलाओं को भेजे जा रहे है वही इसकी ऍम ऍम एस सेवा ने तो कहर ही ढा दिया है । स्कूल , कॉलेज या हॉस्टल के साथी दोस्त के या फिर चेंजिंग रूम मैं महिलाओं के अश्लील फोटो और ऍम ऍम एस बनने जैसी घटना ने मोबाइल के विकृत और ओछी मानसिकता के रूप मैं दुरूपयोग को उजागर किया है । इससे महिलाये सार्वजनिक स्थानों मैं अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगी है । इस प्रकार की घटना आधुनिक समाज के लिए एक अभिशाप से कम नही है ।
अतः आवश्यक है की मोबाइल का उपयोग इस प्रकार किया जाए की वह समाज की लिए वरदान साबित हो न की अभिश्राप । जितना मोबाइल का दखल हमारी जिन्दगी मैं बढ़ता जा रहा है उतना ही हमे इससे सचेत , सजग, सतर्क और चोकन्ना रहने की जरूरत है । यह हमारे लिए सेवक ही रहे न की भक्षक या भयानक राक्षस ।

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