वित्तमंत्री श्री पी चिदम्बरम द्वारा बैंकों के रेपो रेट और सी आर आर की दरें को बढाये जाने की बात कही गई थी , जिसके अनुसार इन दरों मैं वृद्दि कर दी गई है । ये उठाये गए कदम बढती हुई मंहगाई पर लगाम कसने मैं कितने कारगर सिद्ध होंगे यह तो आने वाले वक़्त पर ही पता चलेगा । इस पर वित्तमंत्री द्वारा मंहगाई मैं कमी आने मैं वक़्त लगने की बात कही गई है ।
यह कहा जा रहा है की इस प्रकार रेपो रेट और सी आर आर की दरों मैं बढोतरी से बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋणों के ब्याज दरों मैं बढोतरी होगी और ब्याज दरों मैं बढोतरी से बाज़ार मैं उत्पादों और सेवाओ की बढ़ी हुई मांग मैं कमी आएगी । कार लोन , होम लोन और अन्य विलासिता पूर्ण उत्पादों को खरीदने हेतु बैंक से लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों मैं वृद्धि होगी जिससे इन लोन को लेने वालों मैं कमी आएगी और बाजारों मैं उत्पादों की मांग मैं भी कमी आएगी ।
इस बात का बाज़ार पर दूसरा प्रभाव यह पड़ सकता है की बड़े उद्योगों के उत्पादों की मांग मैं कमी और भवनों और घरों के निर्माण और मांग मैं भी कमी आएगी जिससे व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र मैं मंदी का दौर आने की संभावना है। हो सकता है इससे देश के आर्थिक विकास मैं भी इसका प्रभाव पड़े ।
दूसरी ओर कम आय वाले मध्यम ओर निम्न आय वाले उपभोक्ता वर्ग पर इसका प्रभाव नगण्य माना जा सकता है , क्योंकि यह वर्ग ऐसा है जो इस तरह के लोन लेने हेतु बैंक कम ही जाता है , उसे तो सिर्फ़ अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु धन जुटाने की आवश्यकता होती है ।
यह कहा जा रहा है की इस प्रकार रेपो रेट और सी आर आर की दरों मैं बढोतरी से बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋणों के ब्याज दरों मैं बढोतरी होगी और ब्याज दरों मैं बढोतरी से बाज़ार मैं उत्पादों और सेवाओ की बढ़ी हुई मांग मैं कमी आएगी । कार लोन , होम लोन और अन्य विलासिता पूर्ण उत्पादों को खरीदने हेतु बैंक से लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों मैं वृद्धि होगी जिससे इन लोन को लेने वालों मैं कमी आएगी और बाजारों मैं उत्पादों की मांग मैं भी कमी आएगी ।
इस बात का बाज़ार पर दूसरा प्रभाव यह पड़ सकता है की बड़े उद्योगों के उत्पादों की मांग मैं कमी और भवनों और घरों के निर्माण और मांग मैं भी कमी आएगी जिससे व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र मैं मंदी का दौर आने की संभावना है। हो सकता है इससे देश के आर्थिक विकास मैं भी इसका प्रभाव पड़े ।
दूसरी ओर कम आय वाले मध्यम ओर निम्न आय वाले उपभोक्ता वर्ग पर इसका प्रभाव नगण्य माना जा सकता है , क्योंकि यह वर्ग ऐसा है जो इस तरह के लोन लेने हेतु बैंक कम ही जाता है , उसे तो सिर्फ़ अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु धन जुटाने की आवश्यकता होती है ।
अतः सरकार के इस कदम से यह माना जा सकता है की इससे केवल उच्च वर्ग के उपभोक्ता ही प्रभावित होंगे साथ ही बड़े उद्योगपति और व्यवसाई के कारोबार पर प्रभाव पड़ेगा । मध्यम और निम्न वर्ग का आम जन इससे अप्रभावित रहेगा । आशा की जानी चाहिए वित्तमंत्री के प्रयास से बढती हुई मंहगाई को काबू करने मैं देर सबेर सफलता मिलेगी ।
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