ऐ बीते हुये पल ,
शुक्रिया तहे दिल ,
तेरी ही पनाहों से ,
जीवन रहा है चल ।
कभी सपाट तो ,
कभी उबड़ खाबड़ ,
राहें मिलती पल पल ।
थोड़ा गिरे तो ,
कभी थोड़ा डरे ,
तो कभी थोड़ा गए फिसल ।
आहिस्ते से कदम जमाते ,
चीजें पकड़ सहारे पाते ,
चले है संभल संभल ।
कभी गम के तो ,
तो कभी खुशी के ,
आंसू ग ये निकल ।
हां कुछ तो खोया है ,
पर कुछ पाया भी है ,
खाली न रहा पटल ।
जो है उसका शुक्र मनाकर ,
सावधानी और सुरक्षा अपनाकर,
बोएंगे नयी फसल ।
ऐ बीते हुये पल ,
शुक्रिया तहे दिल ,
तेरे ही अच्छी वजहों से ,
मिल रहे हैं नये पल ।