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गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

तो मत कर संकोच !

 


तो  मत कर संकोच,

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे ।


गर मन में है भरोसा ,

कि जो मैंने है सोचा ,

वह नहीं है धोखा ,

मेरे और अपनों के साथ । तो मत कर संकोच......


गर गलत नहीं है चयन ,

तो बढ़ा आगे कदम ,

छोड़ कर सारे वहम ,

कर एक दिन और रात । और  मत कर संकोच......


गर बढ़ा दिया है कदम ,

तो करके सारे जतन ,

बस लगा के सारा दम ,

कर पसीने की बरसात । और  मत कर संकोच......


फहरेगा जीत का परचम ,

या अनुभव का मिलेगा धन ,

बस न हारे यह मन ,

और करते रहे जतन । 


मत कर यह संकोच 

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे । 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत धन्यवाद आदरणीय रवि सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय पम्मी मेम इस रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" के मंच पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. गर गलत नहीं है चयन ,
    तो बढ़ा आगे कदम ,
    छोड़ कर सारे वहम ,
    कर एक दिन और रात ।
    और मत कर संकोच......
    बेहतरीन..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  4. गर गलत नहीं है चयन ,
    तो बढ़ा आगे कदम ,
    छोड़ कर सारे वहम ,
    कर एक दिन और रात ।
    और मत कर संकोच..
    बहुत ही सटीक... बस सही और गलत का आँकलन कर सही राह पर बढ़ते चले दुनियादारी की परवाह किये बगैर।
    बहुत ही सुन्दर सार्थक एवं लाजवाब सृजन।
    वाह!!

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय दिग्विजय सर एवं सुधा मेम आपकी बहुमूल्य और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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