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रविवार, 30 जनवरी 2022

न किया कोई लड़ाई है !

 


न किया कोई लड़ाई है , 

न फरमाइश की लिस्ट लाई है ,

यह कोई समझौता की समझ है ,

या कोई नाराजगी समाई है ।


इस खामोशी ने बैचेनी बढ़ाई है ,

बड़ी दुविधा की स्थिति अाई है ,

यह तूफान के पहले की शांति है ,

या सच में ठंडी हवा की पुरवाई है ।


मनको गवारा नहीं ऐसा तुम्हारा रूप,

कभी झगड़ना तो कभी जाना रूठ ,

कभी छांव बनना तो कभी बनना धूप ,

अच्छा लगता है वही तुम्हारा रसूख ।


अब नाराजगी की करो जी विदाई है ,

यदि समझ है तो बरतो थोड़ी ढिलाई है ,

फरमाइश की  बजाओ वही शहनाई है ,

और फिर कर लो थोड़ी लड़ाई है ।

 

13 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (31-01-2022 ) को 'लूट रहे भोली जनता को, बनकर जन-गण के रखवाले' (चर्चा अंक 4327) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. बहित खूब ...
    ये भी जीवन का हिस्सा है, चलता रहना चाहिए ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सही कहा आपने बिना नमक का भोजन जैसी जिंदगी हो जाती है बिना शिकवे शिकायत के।
    उम्दा सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय रविन्द्र सर , मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (31-01-2022 ) को 'लूट रहे भोली जनता को, बनकर जन-गण के रखवाले' (चर्चा अंक 4327) पर शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद और आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय दिगंबर सर एवं नवाज सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय कोठारी मेम सर एवं सैनी मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  8. अब नाराजगी की करो जी विदाई है ,

    यदि समझ है तो बरतो थोड़ी ढिलाई है ,

    फरमाइश की बजाओ वही शहनाई है ,

    और फिर कर लो थोड़ी लड़ाई है ।

    बहुत ही खूबसूरत रचना😍💓

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय मनीषा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सारगर्भित। और सराहनीय रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय शुभ मेम एवं जिज्ञासा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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