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शनिवार, 22 नवंबर 2025

साथ तेरा लगे ऐसा !

 


साथ तेरा लगे ऐसा

जैसे प्रभु की है  कृपा .

 

मेरी दुनिया हुई

ख़ुशी के काबिल है

भटकती लहरों को

जैसे मिला साहिल है

सुकून में है अब तो

वक्त का हर लम्हा .

 

उदासी के बादल

अब हुये धूमिल है

चाँद सितारों सी

सजी महफ़िल है

अहसास में है अब तो

एक प्यारा सा समा .

 

राह में अब तक

न हुई मुश्किल है

चाहा  था जो वो

हुआ हासिल है

जिन्दगी से हमें अब

करने को रहा न गिला .

 

साथ तेरा लगे ऐसा

जैसे प्रभु की है  कृपा .


सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

जल उठे हैं घर घर दीप !

 


जल उठे हैं  घर घर दीप

रात्री अमावस्या माह कार्तिक ।

जल उठे हैं  घर घर दीप

रात्री अमावस्या माह कार्तिक ।

 

समुद्र मंथन से रतनों  के बीच

प्रकट हुई माँ लक्ष्मी धन प्रतीक

चरणों में उनके झुकेंगे शीश

सुख समृद्धि का पाने आशीष ।

 

श्री राम की हुई रावण पर जीत

अधर्म अनाचार विरुद्ध बने धर्म प्रतीक

चरणों में उनके झुकेंगे शीश

आचरण से उनके लेने सीख ।

 

नरकासुर राक्षस का किये वध

सत्यभामा संग भगवान श्रीकृष्ण

चरणों में उनके झुकेंगे के शीश

गाने उनके महिमा गीत ।

 

जल उठे हैं  घर घर दीप

रात्री अमावस्या माह कार्तिक ।

जल उठे हैं  घर घर दीप

रात्री अमावस्या माह कार्तिक ।


दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ . 

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

#माँ की ऐसी #कृपा हो गयी .

 

इमेज गूगल साभार

माँ की ऐसी  कृपा हो गयी 

सारी विपदा विदा हो गयी .

 

दर्द के जो थे जख़म

सब को मिल गया मरहम

कर माता रानी के स्मरण  

दुखों की दवा  हो गयी .

  

अभावों का रहा न मौसम

हालात रहे न विषम

नित मातारानी का पूजन

सुख की सदा हो गयी ।

  

मात खा रहे है दुश्मन

लहरा रहा है जीत का परचम

माता रानी के छूये है चरण

शतरुओं की अब आपदा हो गयी ।

  

माता रानी बैठी है आसन

भक्त सारे है प्रसन्न

करके माता रानी के दर्शन

दुनिया माँ की दया हो गयी ।

 

माँ की ऐसी  कृपा हो गयी ।

सारी विपदा विदा हो गयी .


रविवार, 14 सितंबर 2025

हिंदी है मेरा अभिमान ।

 

इमेज गूगल साभार

सेतु और संगम है
जिसमें गुजरती संस्कृतियां महान 
सागर और नदियां है 
करते जिसमें भाव सभी स्नान 
सहयोग और समर्पण है 
निहित है जिसमें परोपकार और कल्याण 
विचार , सूचना और ज्ञान का
होता जिसमें अदान प्रदान आसान 
ऐसी प्रभामयी और प्रभावशाली 
हिंदी है मेरा अभिमान ।

है समाहित जिसमें 
आदर और सम्मान 
कल्पना और उपमाओं से 
जो पत्थर में फूंके प्राण 
स्तुति और वंदना से 
जो लाये समीप भगवान 
सुख शांति और खुशियों का
है उपलब्ध जिसमे सारा आख्यान 
ऐसी समृद्ध और सशक्त 
हिंदी है मेरा अभिमान ।

🌷🌷हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।  🌷🌷

                    ***दीपक कुमार भानरे ***

गुरुवार, 4 सितंबर 2025

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश !

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश  

बोलो जय जय श्री गणेश .


बाधाओं का न कोई बंधन

रोगों से न कोई सम्बन्ध

सदा स्वस्थ रहे  तनमन

मिट जाते सारे कलेश .

 

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश 

बोलो जय जय श्री गणेश .

 

हर मुश्किल के मिलते हल

बिगड़ी बात जाती संभल

बुरा वक्त भी जाता टल

काज न रहते कोई  शेष .

 

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश 

बोलो जय जय श्री गणेश .

 

सदा सुख समृद्धि समावेश

रहता खुशियों भरा परिवेश

दिन बन जाता बड़ा विशेष

मन भजता जब श्री गणेश .

मन भजता जब श्री गणेश .

 

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश 

बोलो जय जय श्री गणेश .

गुरुवार, 21 अगस्त 2025

जीना पड़ता है यहां मन को मार ।

  

 

                                इमेज गूगल साभार

चलती है यहां कहां

मन की सरकार 
जीना पड़ता है यहां
मन को मार ।

रिश्तों के बंधन है 
और ढेरों संस्कार 
स्नेह बंधन है जुड़े 
और मर्यादा के तार ।

ख्वाब है ढेरों 
उम्मीदों की लंबी कतार 
चल रही है जिंदगी 
लेकर इनके भार ।

परिस्थितियां भी कई ऐसी 
करती लाचार 
चाहते हुए न मन के भी 
करने पड़ते है कई कार ।

चलती है यहां कहां
मन की सरकार 
जीना पड़ता है यहां
मन को मार ।

शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

महफूज जहां मेरा तन मन ।

शनिवार, 5 जुलाई 2025

#बारिश की बारात में करना पड़ेगा विदा ।

 


कब तक संभाल रखोगे
जल #बूंदों का कारवां
कभी तो करना होगा विदा
एक दिन ए #आसमां।

माना कि कई दिवसों से 
अपने आंचल #मेघ में 
जिनको रखा था छुपा ,
#बारिश की बारात में 
करना पड़ेगा विदा 
एक दिन तो आसमां ।

किरणों के स्नेह वश
चल पड़ी थी साथ 
अथाह जल राशि
छोड़ अपनी धरा ,
लेकर ताप 
सूर्य किरण का 
मिल रहे थे इस धरा से
जब तुम ए आसमां ।

पार कर हद अपनी
आई चलकर
बूंद बूंद तुम तक
लेकर रूप हवा ,
समा लिया 
इनको समेटकर
मेघ से अपने आंचल में 
तुमने ए आसमां ।

बिजली की दे दो चपलता
और मेघ की गर्जना 
सितारों की दे दो चमक 
और चांद की शीतलता ,
बूंदों को उपहार की 
देकर यह श्रृंखला 
करने फिर से धरा तृप्त
कर दो विदा ए आसमां ।

कब तक संभाल रखोगे
जल बूंदों का कारवां
कभी तो करना होगा विदा
एक दिन ए आसमां।
            **"दीपक कुमार भानरे" **

रविवार, 15 जून 2025

सीने में #रात के #चिंगारी का ऐसा #खंजर चुभाओ !


जितना न लिखा हो किस्मत में अपनी

कुछ उससे ज्यादा ही पाने की जुगत लगाओ

गर आया पसंद आसमां में कोई सितारा

तो टूटकर झोली में गिरने तक  नजर न हटाओं  .

 

सुलझी नहीं है गुत्थियाँ जो अब  तक

सुलझाने को उनको अपना मन बनाओं

जबाब जिसका किसी के पास न हो

ऐसे  प्रश्न के उत्तर पर अपन दिमाग खपाओ .

 

न होने दो रात को इतनी ज्यादा लम्बी

की आगोश में उसके नींद सुकून पा जाये

झपके कुछ इस तरह से अपनी  पलकें

की आँखें बस कुछ पल ही सुकून पाये .

 

सीने में रात के चिंगारी का ऐसा खंजर चुभाओ

की बस्तियां अँधेरे की जलकर खाक हो जाये

फिर उम्मीद के उजाले का एक नया घर सजाओ

जहाँ मुसाफिर मंजिलों के ठहर विश्राम पाये .  


रविवार, 25 मई 2025

#पुरानी सी एक #हवेली !

 


#पुरानी सी एक #हवेली
कहता गांव #भूतों की सहेली
दिन में होती आम बात
पर हो जाती रात खौफनाक
जो अब तक है अबूझ पहेली
और बनी है अब तक एक राज ।

हवाओं के झोंको से
चरमराते और कराहते कपाट
अंदर अंधेरे कमरे में
बर्तन गंदे और टूटी एक  खाट
बैठा जिस पर एक शख्स
बुरी शक्ल करता बकवास
छिपकली ,चमगादड़ और मकड़ी
जैसे है उसके अपने और खास ।

उल्लू और कुत्ते सियार
जिनकी डरावनी रोती आवाज
जानवरों की चमकती
घूरती अंधेरे में डरावनी आंख
सूखे पत्तों पर  चलने की
खर खर करती  पदचाप।

जाता जो भी वहां रंगबाज
आया न वापस वो उस रात
कुछ चीखें ओर कुछ छटपटाहट
और पक्षियों की मंडराती बारात
फिर एक सुई पटक सन्नाटा
और जरा भी न चि पटाक
बंद हो गया हवेली में
एक और रहस्यमय राज ।
                  ***दीपक कुमार भानरे***

शुक्रवार, 16 मई 2025

#भारत ने खेल #खेल दिया ।

 

रातों रात रेल दिया
घुसकर अंदर पेल दिया
आतंकिस्तान में तबाही का
भारत ने खेल खेल दिया ।

भस्म हुये आतंकी नापाक
फेल गई बस आग ही आग
अड्डे सब हुये है जलकर खाक
भारत ने मचाया ऐसा सर्वनाश ।

बदला बना ऐसा नजीर
सटीक निशाने पर थे सब तीर
छोड़ा बनाकर दुश्मन को फकीर
धन्य धन्य भारत के सैन्य वीर ।

आंख उठाकर अब देखा अगर
तो भारत मचायेगा ऐसा कहर
टूट टूटकर सब जायेगा बिखर
दुश्मन न आयेगा नक्शे में नजर ।

जय हिंद जय भारत ।

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

पूछ रही है #महफिलें ।


शाम ने #बांधा समा 

रात ने दी #दस्तक 

अब पूछ रही है #महफिलें 

जागना है कब तक । 


दौर पर दौर चले 

जाम के लव तलक

अब पूछ रहे है प्याले 

रहना होश में कब तक ।


चाँद भी डूबा डूबा है 

चाँदनी भी है मदमस्त 

पूछ रही है जुगनू 

चमकते रहना है कब तक । 


साँसों से साँसो की खुशबू 

तूंफा उठाये दिलकश 

पूछ रही है फूलों की खुशबू 

बागों में ही रहना है कब तक । 


चल पड़ी है ठंडी बयार 

मिलने लगी है दिलों को ठंडक 

सोच रही है अब महफिलें 

कि जल्द मिलेगी राहत । 

             *** दीपक कुमार भानरे ***  

रविवार, 6 अप्रैल 2025

#श्रीराम #अवतरण, प्रभु पड़े चरण ।

 

#श्रीराम #अवतरण
प्रभु पड़े चरण
जगत जन जन
सब प्रभु शरण ।

कृपा सिंधु नयन
मर्यादा पुरुषोत्तम
सदा सत्य वचन
श्री राम भगवन ।

दुष्टों का दलन
बुराइयों का दहन
धर्म ध्वजा परचम
श्रीराम शुभ आगमन ।

प्रफुल्लित मन
आस्था आच्छादन
राम राम कण कण
परम आनंद परम आनंद ।

🙏💐श्रीराम नवमी राम जन्मोत्सव
की कोटिश शुभकामनाएं ।
        **जय सियाराम जी की ** 💐🙏
              **दीपक कुमार भानरे**

शनिवार, 29 मार्च 2025

बड़ा ही #विशेष था #शुभ #मुहूर्त (#muhurt) ।


बड़ा ही विशेष था शुभ मुहूर्त

कि जुड़ा था ये मन उनसे अटूट ।

 

धरा में थी हल्की भोर की धूप

और बयार थे शीतलता से अभिभूत ।

 

करती निनाद मंदिर की घंटियाँ

ईश्वर कृपा के मन से हो  वशीभूत

अर्चना और प्रार्थना के उच्चारण से

बने थे  होंठ ईश्वर के  देवदूत ।

 

श्रद्धा और सुकून की दौलत

समेटने को बिखरी थी अकूत ।

 

बागों में छेड़ रही थी तान  

मधुर कोयल की कूक

और मची हुयी थी मधुमाखियाँ में

पराग कण को पीने की लूट ।

 

भँवरे और तितलियाँ के दल  

मंडरा रहे थे फूलों पर खूब ।

 

जब रात से मिलने सूरज   

आसमां में रहा था डूब

अपने अपने घरों की और

पंछी भी कर रहे थे कूच ।

 

पाकर चाँद तारों का  सानिध्य

आसमां भी पा लिये थे नये रूप ।

 

बड़ा ही विशेष था शुभ मुहूर्त

कि जुड़ा था ये मन उनसे अटूट ।

                                *** "दीप"क कुमार भानरे *** 

गुरुवार, 13 मार्च 2025

#होली में कुछ #चुहलबंदी ।


है उत्सव और आनंद
खुशियों के उड़ते रंग 
छाई है #होली की मस्तियां
क्योंकि ऋतु है #बसंत।

कपड़े पुराने ढूंढ रहे 
आलमारी पूरी बिखराए 
जिसको देखो वही लगे 
जैसे नए नए सिलवाए । 

#गुटका दबा दबाए के 
ऐसा मुंह लिया पिचकाए 
खाने एक कौर को 
मुंह भी न खुल पाए । 

#छपरी लोग कह रहे 
होली छपरी का खेल 
पर खुद की छपरी न झांक रहे
जिसमें क्या क्या हुए है खेल ।

22 # पंडे साधु संग 
उतरे 11 भारत वीर 
#पाकी तभी तो हार गए 
कह गए पाकी टेली वीर । 

पानी बचाने होली में 
ज्ञान वो रहे पेल 
जो अपनी चीज धोने में 
ढेरों पानी रहे उड़ेल । 

होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।

रविवार, 2 मार्च 2025

#खता किस किस की मैं याद रखूं !

 


#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।

दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।


छोटी सी जिंदगी है
है बहुत खूबसूरत
पर समेटने खुशियां
मिला है बहुत ही कम वक्त
हसरतों को अपने दिल में
यूं उड़ने को आजाद रखूं ।

चलो भूल जाते हैं
अब उन खताओं को
जो ला न सकी
बड़ी #आपदाओं को
खुशियों के दरवाजे में
ऐसे #ताला कब तक #आबाद रखूं ।

#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।

दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
                  ***दीपक कुमार भानरे **

रविवार, 16 फ़रवरी 2025

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।


सूर्य किरण तेज 

लिये है जल सहेज 

धर लालिमा भेष 

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।




ऊष्मा है निश्तेज

शीतलता का है प्रवेश

अवनी अंबर करते भेंट

सूर्य अस्त बेला विशेष ।




हर्षित है हृदय 

पुलकित है नेत्र

पाकर सानिध्य सुखद 

सूर्य अस्त परिवेश । 



भभूती तमस लपेट

आतुर निशा नृपेश

जमाने प्रभुत्व प्रदेश

कर सूर्य अस्त आखेट ।

                 ***दीपक कुमार भानरे***


मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

हमारे न होने का #अहसास वो करते हैं !

 


हमारे न होने का
#अहसास वो करते हैं
किसी #महफिल का
जब वो #आगाज करते हैं ।

छोड़ देते है एक जगह
मेरे नाम के पैमाने की
पूछते हैं बार बार वजह
यूं महफिल में मेरे न आने की
फिर मिलकर मेहमानों से
मुस्कराने का यूं ही रिवाज करते हैं ।

ढूंढती हैं नजरें उनकी हर पता
हमारे होने के उस ठिकाने की
मांगते हैं मन्नतें बार बार रब से
उस जगह महफिलें सजाने की
सोचकर ऐसे ही वो हर बार
फिर एक महफिल का आगाज करते हैं ।

हमारे न होने का
अहसास वो करते हैं
किसी महफिल का
जब वो आगाज करते हैं ।
               ** दीपक कुमार भानरे **

शनिवार, 25 जनवरी 2025

कि #हासिल है हमें #हिंदुस्तान की #सरजमी ।

Image Google Sabhar

हम है
किस्मत के बड़े धनी
कि हासिल है हमें
हिंदुस्तान की सरजमी ।


परिश्रम के पसीने से
जहां देह है दहकती
सफलता के सितारों से
जहां जिंदगियां है चमकती
हर हिंदुस्तानी हृदय की
बड़ी विस्तृत है गली ।


निभाते है लोग यहां पर
वसुधैव कुटुंबकम् संस्कृति
कृष्ण और सुदामा सी
विख्यात है यहां दोस्ती
वचन निभाने में तो
प्राणों की भी दे जाते है बलि ।


चांद पर भी देश की
दस्तक है हो चुकी
सूरज के तापमान पर भी
इबारत है नई लिखी
हिंदुस्तान की तो अब
ख्याति है बड़ी इतनी
कि विश्व के सारी निगाहें
हम हिंदुस्तानी पर ही आ टिकी ।


हम है किस्मत के
बड़े धनी
कि हासिल है हमें
हिंदुस्तान की सरजमी ।

गणतंत्र की बहुत शुभकामनायें एवं बधाइयाँ । 
जय हिन्द जय भारत । 

 

रविवार, 19 जनवरी 2025

#कुंभ का शुभ स्नान ।

 


भाग्य का #उदय है
जीवन का है उत्थान
#मोक्ष का पावन द्वार है
#कुंभ का शुभ स्नान ।

#गंगा जमुना सरस्वती
#संगम का है धाम
#पापों से #मुक्ति मिले
मिले #पुण्य परिणाम ।

#अमृत कुंभ प्रकट हुआ
समुद्र मंथन दौरान
#बूंद अमृत गिरी यहां
देव असुर #संग्राम ।

यहां न कोई भिन्न रहा
सब #सनातनी एक संतान
कुंभ के पावन समागम से
धन्य हुआ #हिंद स्थान ।

भाग्य का उदय है
जीवन का है उत्थान
मोक्ष का पावन द्वार है
कुंभ का शुभ स्नान ।

 

साथ तेरा लगे ऐसा !

  साथ तेरा लगे ऐसा जैसे प्रभु की है   कृपा .   मेरी दुनिया हुई ख़ुशी के काबिल है भटकती लहरों को जैसे मिला साहिल है सुकून में है...