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सोमवार, 23 सितंबर 2019

ये दिल# कर ही गया गुस्ताखियां# !

ये दिल कर ही गया गुस्ताखियां ,
होकर उनका कर ही गया मनमानियां ।

वो उनकी हंसी शरारत ,
वो हर बात पर उनका हंसना , यूं दिल में आकर बसना ,
वो दिल में उतर जाने की महारथ ,
बढ़ा देती है दिल की बेताबियां ।

अब किस से करें शिकायत ,
ये दिल भी अपना , और उन्हें भी माना है अपना ,
उन्हें अपना बनाने की है चाहत ,
अब तो उनकी यादों की है बैसाखियां ।

अब किसकी करें वकालत ,
मुजरिम भी है अपना , और मुलाजिम भी है अपना ,
अब किसको करें हताहत ,
आखिर दोनों तरफ है परेशानियां ।

दिल में दे ही गया कोई दस्तक ,
कोई तो हुआ अपना , सच हुआ प्यार का सपना ,
मानकर  खुदा की इबादत ,
बन जाएं एक दूजे की परछाइयां ।

ये दिल कर ही गया गुस्ताखियां ,
होकर उनका कर ही गया मनमानियां ।
                                        **** "दीप"  ****       

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