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बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

अश्क आंखों से यूं गिराया न करो !



 अश्क आंखों से यूं गिराया न करो ,

गम के समंदर में दुनिया  डुबाया न  करो ,

बमुश्किल से आती है साहिल पर कश्ती जिंदगी की ,

तूफान उठाकर यूं भंवर में उलझाया न करो ।


माना कि हर आरज़ू को मिलती नहीं मंजिल ,

हालात होते है तमन्नाओं के कत्ल में शामिल , 

हर हादसे पर यूं आहत न हो जाया करो , 

अश्क आंखों से यूं गिराया  न करो । 


सजाया न करो जख्म ए दिल अश्कों की दुकान में ,

मरहम तो होता नहीं , होता है नमक लोगों की जुबान में ,

थोड़ा मुस्कुरा कर हाले दिल जमाने से छुपाया भी करो  , 

अश्क आंखों से यूं गिराया न  करो ।


झांक भी लिया करो हसरतों की इमारतों से बाहर ,

मिल जाएंगे खुदा का शुक्रिया करते जो मिला उसके लिये ,

कभी अपने दिल की ऐसे भी समझाया करो , 

अश्क आंखों से यूं गिराया न  करो ।


अश्क आंखों से यूं गिराया न  करो ,

थाम कर इन्हें अपनी ताकत बनाया करो  ,

बमुश्किल से आती है साहिल पर कश्ती जिंदगी की , 

यूं तूफान उठाकर भंवर में  उलझाया न करो ।

                                      ******दीप******

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 8 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. माना कि हर आरज़ू को मिलती नहीं मंजिल ,
    हालात होते है तमन्नाओं के कत्ल में शामिल ,
    हर हादसे पर यूं आहत न हो जाया करो

    सार्थक समानुभूति की भावाभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. थोड़ा मुस्कुरा कर जमाने से हाले दिल बताया भी करो ... क्या खूब कहा ।

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  4. मेरी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" पर साझा करने के रवीन्द्र सर एवं सभी टीम के साथियों को बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. विभा मेम , जोशी सर एवं अमृता मेम की बहुमूल्य टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. ओंकार सर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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