अभी साधने है कई लक्ष्य ,
ज़िम्मेदारी के निभाने है कई चक्र ,
लिखनी कई #इबारत पसीने और खून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
तय वक्त पर करना है हर काम ,
ताकि सबको मिले एक अंजाम ,
अभी चलना है एक कानून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
हजारों बेकाम हो गये जमाने में ,
खुद को इस चाहत पर मिटा ,
करें रहम इस दिले मासूम से,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
****”दीप”क कुमार भानरे ****
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 जनवरी 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आदरणीय यशोदा मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 31 जनवरी 2023 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
सादर ।
पर चाहत कोई काम तो नहीं है न और जब यह किसी दिल में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का बस नहीं चलता
जवाब देंहटाएंतय वक्त पर करना है हर काम ,
जवाब देंहटाएंताकि सबको मिले एक अंजाम ,
अभी चलना है एक कानून से ,
अभी रखें दिल को जरा सुकून से ।
लक्ष्य को अंजाम तक पहुँचाने में चाहत बाध्य नहीं बनेगी हाँ हर चीज का अपना समय होता है ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचाहत किसी दिल में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का बस नहीं चलता। जी ठीक कहा ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
आदरणीय सुधा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंसुकून के लिए तो लोग शायद चाहत पालते हैं । और सबसे ज्यादा बे सुकून हो जाते हैं ।
जवाब देंहटाएंसही कहा , आदरणीय संगीता मेम । आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंNice lines Sir :-)
जवाब देंहटाएं