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सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

माना अभी #जद में थोड़ा न है !

 


माना अभी #जद में थोड़ा न है ,

#घर अपना आज ,

फिर भी गर संभल गये ,

कहीं उठते #धुयें को #भांप ।


खोद लिया एक #कुंआ गर ,

खतरे का कर आभास ,

शायद उस वक्त काम आये , 

जब अपने तक आये #आंच ।


गर करते नहीं #नजरंदाज ,

जो कुछ हो रहा आसपास,

तो मंसूबे सफल न होंगे ,

जो फैलाने वाले हैं आग ।


शायद एक हद बन जाये,

और एक सुरक्षा आकाश,

फिर शायद #जद में न होंगे,

अपना घर और आसपास ।

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11अक्टूबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय तृप्ति मेम ,
    इस रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11अक्टूबर 2023 को साझा करने के लिये बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शायद एक हद बन जाये,

    और एक सुरक्षा आकाश,

    फिर शायद #जद में न होंगे,

    बहुत सुन्दर रचना

    अपना घर और आसपास ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय हरीश सर , आपकी सुंदर सी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय ओंकार सर , आपकी सुंदर और बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आदरणीय सुशील सर , आपकी सुंदर सी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  6. वाक़ई एक सुरक्षा आकाश बनाने का स्वप्न बहुत ज़रूरी है, आज जो हो रहा है उसे देखते हुए

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय अनीता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. आदरणीय शिवम सर , आपकी बहुमूल्य अभिव्यक्ति हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं
  8. मान्यवर !
    प्रभावशाली रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय आतिश जी , आपकी बहुमूल्य अभिव्यक्ति हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं

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