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बुधवार, 2 जुलाई 2008

सरकार चलाना है देश नही !

बड़ी मुश्किल से जोड़ तोड़ की राजनीति से तो सरकार बनाने का और सता सुख प्राप्त करने का मौका मिलता है , फिर कैसे इसे इतने आसानी से छोड़ दें । भई फिक्र तो सिर्फ़ सरकार को बचाने की है , देश से क्या मतलब है , देश और देश के लोगों का कुछ भी हो । वे आपस मैं लड़ें झगडें , मंहगाई की मार से बेहाल होते रहे , गरीबी की मार सहते रहें , राशन पानी ठीक से नही मिले , किसान आत्महत्या करता रहे , देश मैं भ्रस्टाचार का आलम बढ़ता रहे , पड़ोसी देश आँख दिखाकर सीमा की भूमि को हड़पता रहे या फिर देश मैं दंगे , हड़ताल , तोड़फोड़ और आगजनी की घटना होती रहे । देश के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दे को ठंडे बसते मैं डालकर , बस सरकार बचाने का प्रयास किया जाना है ।
सरकार बचाने के इस प्रयास मैं अपने सहयोगी दलों की जायज और नाजायज मांगो को मानना है , वे बात बात पर आँख दिखायेंगे , डरायेंगे और धमकाएंगे और इन सब से आँख फेरकर गांधीगिरी को अपनाकर उनसे हाथ मिलाते और गले मिलते रहेंगे , क्योंकि सरकार को लंबे से लंबे समय तक जो खीचना है ।
सरकार को बचाए रखने के लिए वक़्त पड़ने पर विरोधी और विपरीत विचारधारा वाले दलों और नेताओं से भी हाथ मिलाने मैं कोई परहेज़ नही करना है , भले है चुनाव के समय के जनता के सामने एक दूसरे के ख़िलाफ़ बुरा भला कहा है और जहर उगला है ।
सरकार बचाने के लिए लोगों को आपस मैं उलझाओं , उठाये गए क़दमों पर किसी वर्ग विशेष के दबाब पर वापस लो , या फिर वर्ग विशेष को खुश करने की नीति अपनाओ । ताकि सरकार को बचाया जा सके और साथ ही आगामी चुनाव हेतु अपना वोट बैंक तैयार किया जा सके ।
किंतु देश मैं सरकार बचाने का यह खेल देश के विकास को अवरुद्ध कर रहा , देश की अन्तराष्ट्रीय साख को हानि पंहुचा रहा है , देश के लोगों की मुश्किल को बढ़ा रहा और देश मैं अशांति ,असुरक्षा और अराजकता के माहोल को बढ़ा रहा है ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. पिछले चार साल से कांग्रेस ने केवल एक काम किया है और वह है सरकार बचाना. इसके लिए उस ने अपराधिओं को मंत्री बनाया. जो चुनाव हार गए थे उन्हें मंत्री बनाया. कम्युनिस्टों की हर नाजायज बात को माना. अब जब कम्यूनिस्टों ने आखिरी धमकी दे दी है तो कल के दुश्मनों को दोस्त बनाया जा रहा है. सरकार किसी भी हालत में बचानी है. और लोगों को मंत्री पद बाटेंगे. और लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमें वापस होंगे. इस वक्त क्या लगता है कि किसी को जनता की चिंता है? जनता मंहगाई से मर रही है और कांग्रेस मुलायम के साथ सोने के लिए बिस्तर लगा रही है. आख़िर सरकार बचानी है.

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  2. सरकार चलाना है देश नही - वो भी तो ठीक से नहीं चला पा रहे हैं :)

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