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रविवार, 10 दिसंबर 2017

#बारात के दो #दृश्य !


मस्तियाँ और खुमारियों का छाया है आलम ,
रंग बिरंगी रोशनियाँ से बरात ए जश्न है रोशन ,
अपनी पसंद की बाराती बजवा रहे है धुन ,
बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों के थिरके है कदम ।
बरातियों के नकारात्मक व्यवहार  से न होकर खिन्न  ,
हो पसीने से तरबतर बजा रहे है हर पसंदीदा धुन ,
बिजली के तारों से झूलते रोशनियों के सामान ,
रख  बच्चे,महिलाएं और बुजुर्ग बढ़ा रहे हैं कदम ।
यहाँ एक पल के मायने हर जिंदगी के  लिए है भिन्न ।
कोई  खुशियाँ मनाता है तो किसी के संघर्षों का है क्षण ।

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