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रविवार, 1 नवंबर 2020

किस #मोड़ पर #मिलेंगे वो

 


हर गली में चलकर देखा , 

वक्त और चाल बदलकर देखा , 

कितनी राह तकेंगे लो ,

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


कितनी ही ठोकर खाई ,

अपनों से भी हुई रुसवाई ,

दिल डूब रहा अब तो , 

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं,

ढूंढे से भगवान भी मिल जाते हैं,

अब मिल जाओ ज्यादा न बनो  ,

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


मोड़ नहीं सकते कदमों को ,

छोड़ नहीं सकते सपनों को ,

जलती रहेगी आशा की लौ ,

किसी मोड़ पर मिलेंगे वो ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 3 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. रचना को ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 3 नवंबर 2020 को साझा करने के लिए यादव सर और उनकी टीम का बहुत आभार और धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जोशी सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. शिवम सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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