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शनिवार, 26 दिसंबर 2020

ऐ #बीते हुये #पल !

 


ऐ बीते  हुये पल ,

शुक्रिया तहे दिल , 

तेरी ही पनाहों से , 

जीवन रहा है चल ।


कभी सपाट तो ,

कभी उबड़ खाबड़ ,

राहें मिलती पल पल ।


थोड़ा गिरे तो ,

कभी थोड़ा डरे , 

तो कभी थोड़ा गए फिसल ।


आहिस्ते से कदम जमाते , 

चीजें पकड़ सहारे पाते , 

चले है संभल संभल ।


कभी गम के तो ,

तो कभी खुशी के , 

आंसू ग ये निकल ।


हां कुछ तो खोया है , 

पर कुछ पाया भी है , 

खाली न रहा पटल ।


जो है उसका शुक्र मनाकर , 

सावधानी और सुरक्षा अपनाकर, 

बोएंगे नयी फसल । 


ऐ बीते हुये पल ,

शुक्रिया तहे दिल ,

तेरे ही अच्छी वजहों से , 

मिल रहे हैं नये पल ।

21 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 28 दिसंबर 2020 को 'होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध' (चर्चा अंक 3929) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय रविन्द्र सर मेरी पोस्ट को 'नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध' (चर्चा अंक 3929) पर सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      --
      हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय सैनी मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  3. हां कुछ तो खोया है ,
    पर कुछ पाया भी है ,
    खाली न रहा पटल ।

    जीवन की यही सच्चाई है, जिसे आपने बेहतरीन ढंग से बयां किया है।
    बधाई एवं शुभकामनाएं,
    - डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  4. ऐ बीते हुये पल ,

    शुक्रिया तहे दिल ,

    तेरे ही अच्छी वजहों से ,

    मिल रहे हैं नये पल ।

    बहुत सुंदर रचना - डॉ. शरद सिंह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आदरणीय सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. आदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  7. आहिस्ते से कदम जमाते ,

    चीजें पकड़ सहारे पाते ,

    चले है संभल संभल ।
    ..बीते साल के संदर्भो को दृष्टिगोचर करती सुंदर रचना..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      बहुत शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  8. आदरणीय सर । आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद ओर आभार ।
    बहुत शुभ कामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर रचना है दीपक जी

    जवाब देंहटाएं
  10. आशा का संचार करती सुन्दर रचना।
    गये साल को प्रणाम
    और नये साल का स्वागत।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीया शकुंतला मेम एवं आदरणीय शास्त्री सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    बहुत शुभकामनाएं ।




    जवाब देंहटाएं
  12. दीपक जी, अच्छा लिख रहे हैं आप। कृपया अपने ब्लॉग की विसंगति दूर करें। आपकी टिप्पणीयाँ आपके ब्लॉग पर नहीं दिखाई दे रही। सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय रेणु मेम , आपके बहुमूल्य सुझाव एवं प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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