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रविवार, 13 दिसंबर 2020

जरा आने से पहले बताया तो करो ।



 ऐसे तो अचानक न आया करो , 

जरा आने से पहले बताया तो करो ।


समेट सकें जीवन के बिखरे पन्नों को , 

सजा सकें दिल के धूल भरे कोनों को , 

संवरने का मौका तो मिले कम से कम ,

सांसों की खुशबू से हवा महकाया तो करो ।


न जाने किस हाल में बैठे हैं बेदम  ,

बहके से कदम और बहके से हो हम ,

छुपाने का मौका तो मिले दिलों गम  ,

जरा हंसकर खिलखिलाया तो करो ।


नीले अंबर के तले गिनकर तारे , 

ढूंढ रहे इनमें सूने दिल के सहारे , 

अंधेरा तो जरा मन का हो ख़तम , 

जरा आंचल के सितारों को चमकाया तो करो ।


आ ही गए हो तो क्या बनोगे हमदम , 

खुशियों से क्या भर दोगे दामन , 

काली रातों का क्या मिटेगा ग्रहण , 

बनकर पूनम का चांद जगमगाया तो करो ।


ऐसे तो अचानक न आया करो , 

जरा आने से पहले बताया तो करो ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. जोशी सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन आदरणीय सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया सैनी मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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