ऐसे तो अचानक न आया करो ,
जरा आने से पहले बताया तो करो ।
समेट सकें जीवन के बिखरे पन्नों को ,
सजा सकें दिल के धूल भरे कोनों को ,
संवरने का मौका तो मिले कम से कम ,
सांसों की खुशबू से हवा महकाया तो करो ।
न जाने किस हाल में बैठे हैं बेदम ,
बहके से कदम और बहके से हो हम ,
छुपाने का मौका तो मिले दिलों गम ,
जरा हंसकर खिलखिलाया तो करो ।
नीले अंबर के तले गिनकर तारे ,
ढूंढ रहे इनमें सूने दिल के सहारे ,
अंधेरा तो जरा मन का हो ख़तम ,
जरा आंचल के सितारों को चमकाया तो करो ।
आ ही गए हो तो क्या बनोगे हमदम ,
खुशियों से क्या भर दोगे दामन ,
काली रातों का क्या मिटेगा ग्रहण ,
बनकर पूनम का चांद जगमगाया तो करो ।
ऐसे तो अचानक न आया करो ,
जरा आने से पहले बताया तो करो ।
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंजोशी सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीया सैनी मेम आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएं