#महामारी के इस दौर ने किसी न किसी अपनों को घेरा है,
जिनके इलाज और दवाओं के लिये कोना कोना टटोला है ।
पर विपरीत परिस्थितियां और बिगड़ी व्यवस्थाओं ने झँझोड़ा है,
स्वार्थी और निर्दयी इन्सानों ने भी कुकृत्यों की सारी हदें तोड़ा है ।
इन झंझावतों से लड़कर कुछ अपनों को मिला नया सबेरा है ,
पर दुर्भाग्य के कुचक्र में फँसकर कुछ अपनों ने साथ छोड़ा है ।
ऐसी बेबसी और लाचारी की अवस्था ने मन को झकझोरा है,
और अच्छा न कर पाने के एक अपराध बोध ने मन को घेरा है।
पर ईश्वर की मर्जी मानकर मन को समझा रहे थोड़ा थोड़ा है ,
तिनका तिनका हौसला जुटाकर बांध सब्र का न तोड़ा है ।
उनके साथ और आशीष बिना ये जीवन अब रहा अधूरा है ।
पर जो साथ है उनको लेकर जीवन सफर तो करना पूरा है ।
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