#भारतमाता आओ कबे ,
#चंदा #मामा राह तके ।
कबसे खड़े है अपने द्वार ,
लेकर हल्दी कुमकुम थार ,
चरण पड़े तो हो #उद्धार,
#कृपा दृष्टि अब हम पर पड़े ।
#स्नेह अश्रु की लेकर धार ,
करने को चरण #पखार ,
खड़े #सितारे राह निहार ,
मन अब न ज्यादा धीर धरे ।
पके #पुये की वो मिठास ,
मुन्ने की प्याली की आस ,
ले आओ सब जे #सौगात ,
देखत राह #नैन थके ।
भारतमाता आओ कबे ,
#चंदा मामा राह तके ।
अद्भुत शब्द चयन इस सुंदर कविता के लिए "दीप" साहब :-) बचपन की "चंदामामा दूर के... " याद दिलाने के लिए दिल से शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
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