ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव ,
पंछी , #नदियां और तालाब
ठंडी ठंडी हवा का बहाव ,
आसमां का जहां #धरती पर झुकाव ।
बहती नदी मध्य एक #पत्थर ,
बैठ गया थक कर उस पर ,
सुकून हुआ और बेहतर
जब मछलियां गुजरी पैरों को छूकर ।
ऊपर नीला सा आसमां ,
चित्र उकेरे जिस पर घटा,
बाल मन सा अंदाज लगा ,
देख रहे आकृति फला फला ।
फूलों पर रंगों का पहरा,
खुशबू भी लुभा रही भंवरा,
बैठा था मैं कुछ ऐसी जगह
जहां मिलने आती थी शीतल हवा ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 02 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम
हटाएंमेरी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" http://halchalwith5links.blogspot.in पर सम्मिलित करने के बहुत धन्यवाद एवम आभार , सादर ।
Those were the days.. Search them again...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सर जी 👌👌👌🙏
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर ।
हटाएंवाह! सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय मेम ।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर ।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय सर ।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय मेम ।
हटाएंएक सुंदर सजीव चित्र प्रस्तुत करती रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कृति
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