तपती धुप मैं पसीना पोछते हुए हैंडपंप चलाकर एक लड़की पानी भर रही थी । सुबह से कई दफा पानी भर चुकी थी फिर भी पानी की जरुरत बनी थी । एक तो हैंडपंप बहुत मुश्किल से चल रहा था , बहुत मेहनत से कई बार हैंडपंप चलाने के बहुत थोड़ा थोड़ा पानी आता था । पानी भरते हुए लड़की सारे दिन के काम के बारे मैं सोचती है की पानी भरने के बाद मुझे भाई के कपड़े भी धोने है , मां के और पिताजी के भी कपड़े धोने हैं । भाई को जल्दी नहाना भी होगा , उसे खेलने जाना होगा या फिर फिल्म देखने जाएगा । उसके लिए खाना भी जल्दी पकाना होगा । आज स्कूल की छुट्टी जो है । इन सब कार्यों के अलावा घर की साफ साफाई भी करनी है। दिन भर शायद ही फुरसत मिले । छुट्टी होने के कारण पिताजी के दोस्त या फिर मां की सहेली भी आ सकती है या फिर मेहमान भी आ सकते है । उनके लिए चाय व नाश्ता भी बनाना होगा । हो सकता है मां पिताजी बाहर घूमने जायें तो मुझे घर पर ही रहकर घर के अन्य कार्य करना होगा । सोचते सोचते वह खयालो मैं खो जाती है। तभी सहसा एक आवाज आती है कामचोर कबसे पानी भर रही है , तेरा भाई नहाने के रास्ता देख रहा है। मां जी बस भरकर ला ही रही थी । मायूस सा मन बनाकर फिर से काम मैं लग जाती है।
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शुक्रवार, 7 मार्च 2008
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