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शुक्रवार, 6 जून 2008

कीमत तो बढ़ा दी अब आमजन के आय बढ़ाने के भी उपाय हो !

अंतराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेलों के बढ़ते दामों के मद्देनजर सरकार ने पेट्रोल , डिसल और रसोई गैस की कीमत बढ़ा दी । एक तो वैसे ही पहले से देश मंहगाई का दंश झेल रहा था , जिसे की सरकार रोक लगाने मैं पहले ही असफल रही थी , उस पर इस मूल्य वृद्धि ने गरीब जनता के गीले आंटे मैं और पानी डालने का काम किया है । हो सकता है इसमे अंतराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते दामों से देशी तेल कंपनी को घाटे सहन करना पड़ रहा हो , फिर भी एक दम से इतना दाम बढाए जाना आमजन के लिए एक बड़ा अघात के समान है । कीमत बढ़ जाने से निः संदेह अन्य उत्पादों और आवश्यक वस्तुओं की कीमत मैं भी वृद्धि होगी , जिससे आम जनता की जेब ही ढीली होगी ।
समय के साथ साथ कीमतों मैं वृद्धि होना तो लाज़मी है और यह एक क्रमिक घटना है , और उसको रोक पाना किसी भी सरकार के बस की बात नही है , किंतु जिस अनुपात मैं कीमतों मैं इजाफा होता है उसी अनुपात मैं आम जनता के आय मैं भी वृद्धि होनी चाहिए , किंतु ऐसा नही होता है । एक शासकीय सेवक की ही बात करें तो उसके पारिश्रमिक मैं ही बमुश्किल सालों बाद वृद्धि की जाती है , किंतु उस दौरान मंहगाई मैं कई गुना वृद्धि हो जाती है । इस प्रकार वेतन / पारिश्रमिक वृद्धि उनके साथ बेमानी साबित होती है , प्रायः यह देखने मैं आता है की जैसे ही वेतन / पारिश्रमिक मैं वृद्धि की जाती है उसी क्षण बाजारों मैं मूल्य वृद्धि उससे कही अधिक अनुपात मैं हो जाती है । वैसे शासकीय सेवक तक तो ठीक है किंतु वह जनता क्या करे जो सरकार से सीधे तौर पर नही जुड़ी है , वह तो बढ़ती मंहगाई के अनुपात मैं अपनी आय नही बढ़ा सकती है , ऐसे मैं उसका जीना दूभर हो जाता है , दो वक़्त की दाल रोटी जुगाड़ना भी भारी मशक्कत भरा काम हो जाता है । वही व्यापारी वर्ग तो अपने उत्पादों और वस्तुओं की कीमत बढाकर हिसाब बराबर कर लेते है ।
अतः सरकार को चाहिए की जिस अनुपात मैं मंहगाई बढ़ती है उसी हिसाब से प्रतिव्यक्ति आय की गणना कर आमजन की आय बढ़ाने के उपाय किया जाना चाहिए , ताकि आमजन उससे प्रभावित न हो और देश के आमजन के व्यय और खर्च के बीच तदाताम्य स्थापित हो सके । इससे गरीबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई को भी कम करने मैं भी मदद मिलेगी ।

1 टिप्पणी:

  1. यदि मूल्य वृद्धि के साथ आय वृद्धि होती तो ये नौबत ही नही आती ...

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