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मंगलवार, 24 जून 2008

छोटे परदे पर बड़े परदे के कलाकारों का पदार्पण !

एक ज़माना था जब बड़े परदे के कलाकार छोटे परदे पर अपने को प्रस्तुत करना अच्छा नही समझते । किंतु आज तो छोटा परदा बड़े परदा पर हावी होता नजर आ रहा है । छोटे परदे टीवी पर चल रहा कोई भी मनोरंजन का कार्यक्रम हो उसमे बड़े परदे के कलाकार और हस्तियां नजर आ ही जाती है । चाहे वह डांस प्रतियोगिता हो , गायन प्रतियोगिता हो या फिर कोई सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता है या फिर अन्य कोई मनोरंजक टीवी कार्यक्रम हो । यंहा तक की टीवी पर उत्पादों के विज्ञापन करते भी नजर आ जाते है ये बड़े परदे के सितारे । आख़िर इस बुद्धू बक्से मैं ये बड़े परदे के कलाकार क्यों समाने लगे ?
देखा जाए तो छोटे परदे ने जिस प्रकार से घर घर मैं घुसपैठ बनाया है उसको देखते हुए अपने शोहरत और शख्सियत को जन जन तक पहुचाने मैं इस पर पदार्पण करना एक फायदे भरा सौदा साबित हो रहा है , वही कई महीनो मेहनत करने के बाद साल मैं एक बार लोगों के सामने आने का मौका मिलता था वही इस छोटे परदे टीवी के माध्यम से रोजाना ही अपने दर्शक और फेन से रूबरू होने का मौका मिल जाता है । फिर महीनो की मेहनत के बाद ही आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है किंतु छोटे परदे मैं तो ऐसा नही है , यंहा तो कम मेहनत और लाभ ज्यादा है । किसी कंपनी के उत्पादों के मिनटों के विज्ञापन मैं ही काफ़ी पैसा मिल जाया करता है ।
एक और जन्हा बड़े परदे के कलाकारों के पदार्पण से छोटे परदे के कलाकारों के अवसर मैं कमी आई है वही आम दर्शक को रोजाना अपने पसंदीदा बड़े परदे के कलाकारों से मुखातिब होने का मौका मिलता है । इनके आने से छोटे परदे मैं दर्शकों को गुणवत्ता युक्त और भव्य प्रदर्शन वाले कार्यक्रम देखने को मिल रहे है ।
पसंदीदा कलाकारों वाले और भव्य प्रदर्शन वाले कार्यक्रमों को देखने मैं एक और जन्हा दर्शक ज्यादा समय बुद्धू बक्से टीवी के सामने बिताने लगा है वही बच्चे अपना स्कूली होम वर्क और आवश्यक कार्यों को छोड़कर इन कार्यक्रमों को देखने मैं अपना समय खपा रहे है । कई युवा और दर्शक तो छोटे परदे मैं आने वाले कार्यक्रमों और फिल्मी कार्यक्रमों को देखने मैं अपना कीमती समय नष्ट कर रहे वह भी अपना काम धाम छोड़कर ।
फिर भी एक सिक्के के दो पहलु को देखते हुए यह कहा जा सकते है की जन्हा बड़े परदे के कलाकारों के छोटे परदे मैं पदार्पण से कुछ फायदे हैं तो वही कुछ नुक्सान भी है , अब तो यह देखने वाले दर्शक पर निर्भर करता है वह इसको किस तरह अपनाता है ?

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