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शनिवार, 13 जुलाई 2019

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।
बार बार तुझसे मिलने की उठती है तड़फ ,
सुकून से क्या खाक जीयेंगे अब ।

घटाओं सा लहराता केशों का आसमानी फलक ,
पाजेब की झंकार और चूड़ियों की खनक ,
कदमों की थिरकन और कमर की लचक ,
जब भी सुनाई देती है कदमों की आहट ,
लगता है कि आया है मेरा रब ।
अब बंद हो या खुली हो आंखों की पलक ,
सदा साथ होने के सपने सजेगें अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

लवों पर मुस्कान भरी उसकी एक झलक ,
उसकी जिद और बार बार रूठ जाने की सनक,
मिलकर फिर मिलने की तमन्नाओं की कसक,
जब घुलती है फिजाओं में फूलों की महक ,
उनकी अदाओं का जलवा है ये तो सब ।
अब वो माने या रूठ भी जाए बेशक ,
साथ जीने मरने के ख़्वाब हकीकत बनेंगे अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

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