धरती , पाताल और गगन से ,
इस जग के हर कण कण से ,
शोभायमान है चहुं दिशायें ,
गणपति जी के शुभ आगमन से ।
भक्ति भाव खुशियां आनंद से ,
हल्दी चन्दन और कुमकुम से
स्वागत है स्तुति वंदन से ,
गणपति विराजे हैं ऋद्धि सिद्धि संग से ।
दूर होगी दुविधा मन से ,
कष्ट मिटेंगे नश्वर तन से ,
हर विपदा हर जाएगी ,
गणपति जी के कृपा नयन से ।
गणेश उत्सव की कोटिश शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।
ओम जय श्री गणेशाय नमः ।
:-) अति मनमोहक रचना :-) जय श्री गणेश :-)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर , जय श्री गणेश ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(११-०९-२०२१) को
'मेघ के स्पर्धा'(चर्चा अंक-४१८४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीय मेम जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा 'मेघ के स्पर्धा'(चर्चा अंक-४१८४) पर करने हेतु सादर धन्यवाद ।
श्री गणेशाय नमः! आपकी यह रचना बहुत सुन्दर रही बंधुवर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भट्ट सर एवं ज्योति मेम , ब्लॉग में आकर सकारात्मक एवं उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया अभिव्यक्ति हेतु अत्यंत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएंजय श्री गणेश ।
शुभकामनाएं गणेश चतुर्थी की
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर , आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंजय श्री गणेश ।
बहुत सुंदर,भावभरा आवाहन गणपति बप्पा का 🙏💐
जवाब देंहटाएंआदरणीय जिज्ञासा मेम , ब्लॉग में आकर सकारात्मक एवं उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया अभिव्यक्ति हेतु अत्यंत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
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