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शनिवार, 21 दिसंबर 2024

#फुर्सत मिली न मुझे !


#फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और #साल

फिर मेरे #मकान से ।

 

सोचा था इस साल

अरमानों की गलेगी दाल ,

जीवन के ग्रह  #नक्षत्रों की

हो जायेगी  अच्छी  चाल

पर चलती रही जिदंगी इस साल भी

पुराने ही #इंतजाम से ।

 

बहलाता रहा मन को

कुछ #सपनों की शाम से

लो बीत गया एक और साल

फिर मेरे मकान से ।

 

कुछ #तालमेल कुछ #जुगाड़

कभी उत्साह तो कभी थक हार

गर न बना काम तो

ज़िम्मेदारी भाग्य पर डाल

मन में न रख कुछ #मलाल

खेल ली ज़िंदगी

कुछ ऐसी ही सामान से ।

 

फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और साल

फिर मेरे मकान से । 
                   **दीपक कुमार भानरे**

14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद , देवेश सर, आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु ।

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 23 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय । मेरी लिखी रचना "फुर्सत मिली न मुझे " को इस अंक में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
      सादर ।

      हटाएं
  3. बहुत खूब। सच है ऐसे ही बीत जाता है हर साल, गुजर जाता है दिसंबर आता है नया साल।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद , मेम आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद , मेम, आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु ।

      हटाएं

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