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हैसियत |
#हैसियतों के हिसाब से
बदलता है यहाँ #कायदा ,
मिलती ही उतनी ही #रियायतें ,
होता है #आदमी जितना बड़ा ।
सड़ता है जैल में वह तबका ,
खर्चा कानून का जो न दे सका ,
रसूख वालों के लिये तो ,
आधी रात भी दरवाजा है खुला ।
उसे मिला एक छोटा रास्ता ,
जिसने दिया पैसा ज्यादा ,
वरना एक आम आदमी तो ,
बस लाइन में रहता लगा ।
गर गरीब का कपड़ा है फटा ,
तो उस पर जमाना है हंसा ,
पर अमीर ने कुछ ऐसा किया ,
तो वह फ़ैशन नया बना ।
अयोग्य भी पाता है बड़ा ओहदा ,
गर पास है ज्यादा रोकड़ा ।
वरना छोटी सी नौकरी के लिये ,
सामान्य जन जीवन देता है खपा ।
#हैसियतों के हिसाब से
बदलता है यहाँ #कायदा ,
मिलती ही उतनी ही #रियायतें ,
होता है #आदमी जितना बड़ा ।