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रविवार, 9 सितंबर 2018

जाती हुई बारिश# से बातें# कर लें दो चार .


चलो वक्त से थोड़ा बचपन लें उधार .
जाती हुई बारिश से बातें कर लें दो चार .
फिर न मिलेगी वो बारिश की फुहार . 
और न ही होगा बड़ी बूंदों का प्रहार .
पानी भरे गड्डों में थोड़ा उछल लें यार .
मस्ती से भीगकर हो जायें सरोबार .
कीचड लगने की चिंता करना है बेकार .
चलो पानी में कागज़ की नाव दें उतार .
जाने दो जहाँ तक ले जाए पाने की धार .
डूब भी जाए तो क्या इसमें नहीं जीत हार .
उड़ जाने दो छतरी चिंता काहे की यार .
चलो भीगते हुये ही घूम आएं बाजार .
घर में डांट तो होगी पर न होगी मार .
अदरक वाली चाय की होगी दरकार .
अब वापस कर दें यह बचपन उधार .
फिर से लौट आयें "दीप" घर द्वार .

शुक्रवार, 29 जून 2018

खुलकर# बरसने# दो इस बारा# !

खुलकर# बरसने# दो इस बारा# !

चुभती गर्मी से पाने को छुटकारा , फिर सबने बारिश को है पुकारा ।
जब आया शीतल बारिश का फुहारा , नाच उठा खुशि से जग सारा ।
कुछ ही दिन था खुशियों का खुमारा ,बारिश लगने लगी अब नगवारा ।
चारो और जब फैला कीचड़ सारा , फिसलन ने जब तब खेल बिगाड़ा ।
बस भीग भीग कर इंसा हारा , हर बार सोचा कि अब न भीगूंगा दुबारा ।
खेलकूद और काम भी गया मारा, घर में रहने को मजबूर इंसा बेचारा ।
बारिश जल्द लगने लगी आवारा , कोस कोस हो रहा अब दिन गुजारा ।
न तृप्त धरती न तृप्त जग सारा ,इतने जल्दी बारिश से न करो किनारा ।
बारिश तो अमृत जीवन  धारा , यही तो सृष्टि के सब जीवों का सहारा ।
खुलकर बरसने दो इस बारा , तरबतर हो जाये हर कोना और किनारा ।

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश !

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश   बोलो जय जय श्री गणेश . बाधाओं का न कोई बंधन रोगों से न कोई सम्बन्ध सदा स्वस्थ रहे   तनमन मिट जाते सा...