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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008

मंहगाई सिर्फ़ आम जनता के लिए !

देश मैं मंहगाई को लेकर हाय तौबा मची हुई है । जनता से लेकर राजनैतिक दल , और यहाँ तक की सरकार तक इस मुद्दे को लेकर उहा पोह के स्थिति मैं है । क्या कर क्या न करें , सरकार और सत्ताधारी दलों को कुछ समझ मैं नहीं आ रहा है । केरल राज्य के चुनाव और लोकसभा के भी चुनाव नजदीक आ गए हैं , ऐसे मैं मंहगाई एक बड़ा मुद्दा बनकर उनके सामने आया है । बैठे बिठाये विरोधी दलों को भी एक नया मुद्दा मिल गया है , जिससे वह सत्ताधारी दलों को जनता के सामने कटघरे मैं खड़ा कर सकें । किंतु एक बात है की राजनैतिक दलों को जनता के नफे नुकसान से उतना सरोकार नही रहता है , जितना की उनकों इस बहाने अपनी और अपनी पार्टी की स्थिति को चमकाने की रहती है । बड़े उद्योगपति , व्यापारी वर्ग और नेतागण इससे ज्यादा प्रभावित तो नही हुए है किंतु आम जनता इस बढ़ती मंहगाई से आक्रोशित नजर आ रही है । इस मंहगाई ने सबके बज़त को बिगाड़ के रख दिया है । व्यापारी वर्ग तो मंहगाई बढ़ने पर अपनी वस्तुओं का दाम बढाकर अपनी आय मैं बढोतरी कर लेता है , ज्यादातर व्यापारी तो इस मंहगाई को लाभ के अवसर के रूप मैं बदल लेते है । मंहगाई बढ़ने पर तो वे अपने समानो कर दाम झट बढ़ा देते है किंतु कम होने पर दाम मैं कमी करने मैं देरी करते है । किंतु वास्तविकता यह है की जिस दर से मंहगाई बढ़ रही है उस अनुपात मैं न तो कर्मचारियों का वेतन बढ़ता है और न ही आम जनता की आय । फलस्वरूप आय और व्यय मैं भारी अन्तर उभर कर सामने आता है । लोगों को अपने खानेपीने , कपड़े , घूमने फिरने और अपने अन्य शौकों मैं कटौती कर घर के बज़त को संभालना पड़ता है । जो की उनके हाथ मैं रहता है । किंतु डॉक्टर की फीस और दवाएं , बच्चों की स्कूल की फीस , हर महीने का नल , मकान , बिजली , टेलीफोन , इंधन खर्च और अन्य मासिक किराये मैं कटौती करना न मुमकिन होता है । ऐसे मैं आम इंसान की जिन्दगी मैं भारी असंतुलन पैदा होने लगता है , वह इस प्रकार उत्पन्न भारी खाई को कैसे पाटे , इस उधेड़ बुन मैं घरेलु और सामाजिक वातावरण मैं भी तनाव और अशांति का माहोल बनने लगता है ।

आवश्यकता है आम नागरिकों के हितों को ध्यान मैं रखकर ठोस और प्रभावी आर्थिक नीति बनाने की । जमाखोरी पर सख्ती से रोक लगाने की और वितरण प्रणाली को ज्यादा कारगर ढंग से लागू करने की । तभी सुरसा से जैसे मुंह फाड़ते मंहगाई को काबू मैं लाया जा सकता है ।

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश !

रहे जीवन में शुभ लाभ प्रवेश   बोलो जय जय श्री गणेश . बाधाओं का न कोई बंधन रोगों से न कोई सम्बन्ध सदा स्वस्थ रहे   तनमन मिट जाते सा...