अगर करते हो अपनों से प्यार ,
तो मत घर से बाहर निकलो यार .
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गर तुम घर से बाहर जाओगे ,
कितनों के सम्पर्क में आओगे .
न जाने किस के आस्तीन में ,
यह दरिंदा कोरोना छुपा पाओगे .
लिपट जायेगा मौका मिलते ही तुमसे ,
अनजाने ही साथ घर तक ले आओगे .
जब शुरु होगा संक्रमण का सिलसिला
तो खुद को इसकी उलझन में पाओगे .
फिर होंगे अपने इसकी गिरफ्त में ,
फिर गली, मोहल्ला,शहर को शिकार
बनवाओगे.
पहले झेलेगा परिवार गलती की सजा,
धीरे धीर सारे शहर की लुटिया डुबाओगे .
कितना भयानक है यह सपना ,
इस सपने को सच तो नहीं करवाओगे .
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अगर करते हो अपनों से प्यार ,
तो मत घर से बाहर निकलो यार
.
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