#उलझना |
देख लो जी भर के #महफिल में मुझे ,
छुपकर मेरे चाहने वालों में ,
आयेगा न कोई #इल्जाम तुम पर,
कि शामिल हो मेरे #दीवानों में ।
गर गरज उठे बिजली संग बादल ,
तो आ जाऊं मैं पास तुम्हारे ,
डर के इन्हीं बहानों में ,
तब कह देना दिल की बातें ,
चुपके से मेरे कानों में ।
आकर दो बातें करना मुझसे ,
होकर शामिल मेहमानों में ,
हाथ थामकर नजर मिलाना,
दिल रख देना नजरानों में ।
चाहता है #उलझना कौन यहां आज,
बेरहम दुनिया के सवालों में ,
ढूंढते है ऐसी चाहत की दुनिया ,
जो पले किसी महफूज ठिकानों में ।
****दीपक कुमार भानरे****
चाहता है #उलझना कौन यहां आज,
जवाब देंहटाएंबेरहम दुनिया के सवालों में ,
ढूंढते है ऐसी चाहत की दुनिया ,
जो पले किसी महफूज ठिकानों में । बहुत सुंदर रचना,
बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंआदरणीय पटेल मेम ,
हटाएंआपकी प्रशंसा युक्त बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
सादर ।
सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर ,
हटाएंबहुत धन्यवाद ।
सादर ।