कहा जाता है की बूँद बूँद से सागर भरता है अतः यदि सभी अपना वोट सोच समझकर दे तो हम अच्छे और इमानदार लोगों को संसद मैं भेज सकते हैं और एक स्वस्थ्य और इमानदार सरकार और साथ ही स्वस्थ्य लोकतंत्र को स्थापित करने मैं सहायक हो सकते हैं ।। किंतु क्या मेरा एक वोट यह काम कर सकता है ? माना की मैंने अच्छे और इमानदार व्यक्ति को वोट दिया , ठीक इसी तरह कुछ और पढ़े लिखे और समझदार लोगों ने वोट दिया , तो क्या हम कुछ लोगों के वोट से भ्रष्ट और बेईमान लोगों को संसद मैं जाने से रोक सकते हैं । यदि ऐसा होता तो हमारे वोट देने के बाद भी क्यों हर बार भ्रष्ट और बेईमान लोग संसद मैं जाने मैं सफल हो जाते हैं । वो कहते है ना की कुछ गन्दी मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है । ठीक उसी तरह कुछ शिक्षित और अधिकाँश अशिक्षित , लालची और तात्कालिक स्वार्थ पूर्ति वाले लोग इस प्रजातंत्र के सागर को गन्दा कर देते हैं । और स्वयम अपने पैरों मैं कुल्हाडी मारकर आगामी वर्षों के लिए इन भ्रष्ट और बेईमान लोगों द्वारा शाशित भ्रष्ट शाशन व्यवस्था को झेलने हेतु मजबूर होते हैं । और ये नेतागण भी जानते हैं की हमें कुछ पढ़े लिखे और समझदार लोगों के लिए पूरे पाँच साल काम करने की बजाय , शिक्षित और अधिकाँश अशिक्षित , लालची और तात्कालिक स्वार्थ पूर्ति वाले लोग हैं ऐसे लोगों के लिए सिर्फ़ चुनाव के समय ही दौड़ धुप और प्रलोभन हेतु धन सामग्री खर्च करने मैं ही फायदा है । नेताओं को पता है की ऐसी जनता को स्वच्छ , इमानदार और अच्छी छबि वाले प्रतिनिधि से मतलब नही है उन्हें तो तात्कालिक निजी स्वार्थ पूर्ति से मतलब है फ़िर प्रदेश और देश का विकास और उन्नति से कोई मतलब नही । बस धन सामग्री के लालच देकर वोट खरीदों ।
साथ ही दूसरी दिक्कत यह है की चुनावों मन उम्मीदवार जनता नही खड़ा करती वरन राजनैतिक पार्टी अपने हिसाब से खड़ा करती है फिर चाहे उस उम्मीदवार ने कभी जनहित का कार्य किया हो या न हो । उसके ऊपर कितने अपराध प्रकरण दर्ज है या फिर उसे जनता जानती हो या नही । एक बार उम्मीदवार को किसी ख्यातनाम पार्टी का धन और बल से समर्थन मिल जाता है तो उसे जीतने की पूरी उम्मीद होती है । अब जनता के सामने यह समस्या आ जाती है की उसे सभी लोगों मैं से कम से कम से भ्रष्ट और बईमान लोगों को चुनने हेतु बाध्य होना पड़ता है । यंहा कोई नही का भी तो विकल्प नही रहता है ।
अतः क्या यंहा स्वस्थ्य लोकतंत्र की अभिलाषा की जा सकती है और क्या हमारा वोट भ्रष्ट और बेईमान लोगों को संसद मैं जाने से रोक सकता है । यह एक यक्ष प्रशन है । कुछ बुद्धिजीवी का यह कहना है की अच्छे और इमानदार लोगों को संसद मैं भेजने हेतु शत प्रतिशत वोटिंग होना जरूरी है । क्या शत प्रतिशत वोटिंग भी इस समस्या से निजात दिला सकती है । किंतु उपरोक्त कारण लोगों को अपने मतदान के प्रति उदासीन होने हेतु मजबूर करते हैं । की उसके वोट के सामने, कुछ शिक्षित और अधिकाँश अशिक्षित , लालची और तात्कालिक स्वार्थ पूर्ति वाले लोग के , ग़लत आदमी को दिए जाने वाले वोट के सामने कोई मायने नही रखता है ।