जब जब भारत और पाकिस्तान की वार्ता की जानी होती है तब तब उसके पहले पाकिस्तानी सेना द्वारा सीमा पर भारी गोली बारी की जाती रही है , जैसा की अभी हुआ है , उसमे भारतीय सेना के एक जवान शहीद भी हो गए हैं । और भारत की और से विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। आख़िर क्या वजह है की एक तरफ़ तो पाकिस्तान शांति वार्ता और द्वि पक्षीय वार्ता करने का नाटक करता है और दूसरी और वह सीमा पर अशांति और तनाव पूर्ण वातावरण भी पैदा करता है । ऐसी स्थिति मैं की जा रही वार्ता कितनी सार्थक होगी यह कहना मुश्किल नही होगा ।
फिर क्यों हम हर बार पाकिस्तान के इस तरह के दिखाबे और छलावे मैं आते रहते है । चाहे वंहा किसी की सरकार बने या फिर राष्ट्रपति शासन रहे लेकिन उनकी सोच और नियत मैं बदलाव आएगा यह लगता नही है । भले ही हम रेल और सड़क मार्गों के द्वार खोल दे या फिर दिलों के द्वार खोल दें । बाजपेयी जी ने दोस्ती का हाथ बढाया तो उसका अंजाम तो हम देख चुके है । अब इस वार्ता का अंजाम क्या होगा यह अभी तक हुए घटनाक्रमों को देखते हुए कोई भी बता सकता है । पड़ोसी देश पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय स्तर पर एवं इस प्रकार की वार्ता पर वह दिखावे के लिए तो आतंकवाद के भर्त्सना करते नही थकता है किंतु अंदरूनी तौर वह आतंकवादियों का पनाह्गार बना हुआ है , सीमा पर गोलीबारी और घुसपैठ की वारदातें को अंजाम देता रहता है । यह बात अब विश्व बिरादरी भी जानने लगी है , सिर्फ़ कुछ देश अपने राजनैतिक और सामरिक हितों के मद्देनजर इस बात से आँख मूंदे बैठे रहने का दिखावा कर रहे है । किंतु वे यह भूल रहे है इस तरह देश और लोग एक दिन उनके लिए भस्म सुर साबित हो सकते हैं। बेनजीर हत्या काण्ड से इस बात का सबक लिया जा सकता है ।
सारी बात का लब्बो लुआब यह है की अब पड़ोसी देश के बह्काबे न आकर , इन सब बातों मैं देश को अपना समय और उर्जा नष्ट नही की जानी चाहिए । अतः वार्तालाप की सार्थकता पर प्रश् चिन्ह लगना स्वाभाविक है ।
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